अधिकतर लोग घरेलू रसोई गैस (LPG Cylinder) का इस्तेमाल तो करते हैं, लेकिन यह नहीं जानते कि गैस सिलेंडर की भी एक एक्सपायरी डेट होती है। जी हां, अगर आपने कभी सिलेंडर की टंकी को ध्यान से देखा हो तो उसमें एक खास कोड अंकित होता है, जो उसकी “एक्सपायरी डेट” की जानकारी देता है।
गैस सिलेंडर की एक्सपायरी डेट क्यों होती है?
LPG सिलेंडर लोहे से बना होता है और लगातार गैस भरवाने, उपयोग करने और बाहर के मौसम से संपर्क में आने के कारण उसकी संरचना कमजोर हो सकती है। ऐसे में पुराने और तय समय से अधिक पुराने सिलेंडर फटने या रिसाव जैसी दुर्घटनाओं का कारण बन सकते हैं। इसलिए सुरक्षा मानकों के अनुसार इन्हें नियमित अंतराल पर जांचा जाता है और एक निर्धारित अवधि के बाद प्रयोग से बाहर कर दिया जाता है।
कैसे पता करें सिलेंडर की एक्सपायरी डेट?
गैस सिलेंडर के ऊपरी हिस्से (कॉलर) पर सफेद रंग से A, B, C या D के साथ दो अंकों की संख्या लिखी होती है। उदाहरण के लिए:
👉 B-26
इसका मतलब है – दूसरी तिमाही (अप्रैल-जून) और वर्ष 2026। यानी यह सिलेंडर जून 2026 तक वैध है।
यहां कोड का मतलब होता है:
- A – जनवरी से मार्च
- B – अप्रैल से जून
- C – जुलाई से सितंबर
- D – अक्टूबर से दिसंबर
एक्सपायरी डेट बीत चुका सिलेंडर क्यों है खतरनाक?
- रिसाव की संभावना अधिक रहती है
- फटने का खतरा होता है
- घर और परिवार की सुरक्षा पर संकट
- नियमों के अनुसार एक्सपायर सिलेंडर की रिफिलिंग नहीं होनी चाहिए
क्या करें अगर एक्सपायर्ड सिलेंडर मिले?
अगर डिलीवरी के समय आपको एक्सपायर्ड सिलेंडर मिले, तो डिलीवरी बॉय से तुरंत उसे बदलने की मांग करें। आप गैस एजेंसी में शिकायत भी दर्ज करा सकते हैं।
बड़ी दुर्घटना से बचाव :
गैस सिलेंडर सिर्फ गैस ही नहीं, आपकी सुरक्षा से भी जुड़ा होता है। अगली बार जब गैस सिलेंडर आए, तो उसकी एक्सपायरी डेट जरूर जांचें, क्योंकि थोड़ी-सी जागरूकता बड़ी दुर्घटना से बचा सकती है।