मुख्य न्यायाधीश (CJI) पद के चयन और न्यायपालिका की स्वतंत्रता को लेकर जस्टिस डी. वाई. गवई ने एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका का स्वतंत्र रहना लोकतंत्र की नींव है और न्यायाधीशों को बिना किसी बाहरी दबाव या राजनीतिक हस्तक्षेप के काम करना चाहिए।
गवई ने खासकर भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के शासनकाल का उदाहरण देते हुए बताया कि उस समय मुख्य न्यायाधीश के चयन में राजनीतिक मनमानी और हस्तक्षेप होता था। उन्होंने कहा कि यह प्रथा न्यायपालिका की स्वतंत्रता के लिए गंभीर खतरा थी और इससे न्यायपालिका की निष्पक्षता पर सवाल उठते थे।
मुख्य न्यायाधीश गवई ने जोर दिया कि आज भी न्यायपालिका को पूरी तरह से स्वतंत्र बनाए रखना आवश्यक है ताकि वह संविधान और कानून के अनुसार न्याय कर सके। उन्होंने कहा कि न्यायाधीशों को निष्पक्षता और स्वतंत्रता के साथ फैसला लेने का अधिकार होना चाहिए, ताकि लोकतंत्र में न्याय की रक्षा हो सके।
उन्होंने यह भी कहा कि जजों के चयन में पारदर्शिता होनी चाहिए और किसी भी राजनीतिक दबाव को बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए। न्यायपालिका की साख और विश्वास तभी मजबूत होगा जब न्यायाधीश पूरी स्वतंत्रता से अपने कर्तव्यों का पालन करें।