🔴 मामला क्या है?
हाल ही में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर एक तीखा हमला करते हुए आरोप लगाया कि उन्होंने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एक फोन कॉल के बाद “तुरंत सरेंडर” कर दिया था। राहुल गांधी ने यह बात कथित तौर पर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से जुड़ी परिस्थितियों को लेकर कही।
राहुल गांधी के इस बयान में उन्होंने पीएम मोदी पर देश की संप्रभुता और आत्मनिर्भरता से समझौता करने का आरोप लगाया और कटाक्ष करते हुए उन्हें “Narendra Modi नहीं, Narender Surrender” कह दिया।
🟠 शशि थरूर की प्रतिक्रिया:
कांग्रेस सांसद शशि थरूर, जो पार्टी के भीतर अपने स्वतंत्र और संतुलित विचारों के लिए जाने जाते हैं, ने राहुल गांधी के इस बयान पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा:
“घरेलू राजनीति में मतभेद हो सकते हैं, लेकिन अंतरराष्ट्रीय मंच पर हमें राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देनी चाहिए। भारत को लेकर ऐसी भाषा, जो देश की गरिमा को चोट पहुंचा सकती है, उसे लेकर सतर्क रहना जरूरी है।”
शशि थरूर का यह बयान अप्रत्यक्ष रूप से राहुल गांधी की आलोचना के रूप में देखा जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस को यह तय करना चाहिए कि आलोचना किस सीमा तक जायज़ है और कब वह राष्ट्रीय छवि को नुकसान पहुंचा सकती है।
🔵 भाजपा का पलटवार:
राहुल गांधी के “सरेंडर” वाले बयान पर भाजपा की ओर से भी तीखी प्रतिक्रिया आई।
भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा:
“भारत कभी सरेंडर नहीं करता। सरेंडर करना कांग्रेस के डीएनए में है। आजादी के समय हो या 1962 की हार, कांग्रेस का इतिहास आत्मसमर्पण से भरा हुआ है।”
🟡 पार्टी के भीतर की हलचल:
शशि थरूर की टिप्पणी ऐसे समय पर आई है जब वह पहले भी कई बार कांग्रेस नेतृत्व से भिन्न विचार रख चुके हैं — जैसे कि:
- रूस-यूक्रेन युद्ध पर भारत की तटस्थ नीति का समर्थन,
- जी-23 समूह का हिस्सा रहना (जो कांग्रेस में आंतरिक लोकतंत्र की मांग करता है),
- और हाल ही में ‘भारत बनाम इंडिया’ बहस पर अलग रुख अपनाना।
इन सब बयानों से यह संकेत मिलते हैं कि थरूर पार्टी लाइन से हटकर स्वतंत्र रूप से सोचते हैं, जो कांग्रेस नेतृत्व को असहज
राहुल गांधी के बयान ने सियासी माहौल गर्म कर दिया
राहुल गांधी के बयान ने सियासी माहौल गर्म कर दिया है। शशि थरूर की प्रतिक्रिया न सिर्फ कांग्रेस के लिए एक ‘आंतरिक चेतावनी’ है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि पार्टी के भीतर भी ऐसे तीखे हमलों को लेकर असहमति है। वहीं भाजपा इसे कांग्रेस की ‘राष्ट्र विरोधी सोच’ करार देकर इसे जनता के बीच भुनाने में जुटी है।