कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने हाल ही में एक जनसभा के दौरान महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को लेकर बड़ा बयान दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य में चुनाव पूरी तरह से सुनियोजित तरीके से प्रभावित किए गए, जिसमें फर्जीवाड़ा, धांधली और प्रशासनिक दखल शामिल रहा।
🔍 राहुल गांधी के आरोपों के प्रमुख बिंदु:
- मतदाता सूची में हेरफेर:
राहुल गांधी ने दावा किया कि लाखों मतदाताओं के नाम बिना कारण के सूची से हटा दिए गए, जिनमें अधिकतर विपक्ष समर्थक थे। - ईवीएम में गड़बड़ी के आरोप:
उन्होंने कहा कि कुछ क्षेत्रों में ईवीएम मशीनों ने मतदान शुरू होने के कुछ ही मिनटों बाद “खराबी” दिखानी शुरू कर दी, जिसके बाद मशीनें बदली गईं – लेकिन इन बदलावों पर कोई पारदर्शिता नहीं रखी गई। - प्रशासन का दुरुपयोग:
कांग्रेस नेता ने यह भी आरोप लगाया कि चुनाव के दौरान राज्य प्रशासन और पुलिस का इस्तेमाल बीजेपी के पक्ष में किया गया, जिससे स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की भावना को ठेस पहुंची। - मीडिया और संसाधनों का पक्षपातपूर्ण उपयोग:
राहुल गांधी ने कहा कि चुनाव प्रचार के दौरान सरकारी मीडिया संसाधनों का गलत इस्तेमाल किया गया और बीजेपी के प्रचार को बढ़ावा दिया गया।
🗨️ राहुल गांधी ने क्या कहा?
“महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव निष्पक्ष नहीं हुए। यहाँ सुनियोजित तरीके से लोकतंत्र की हत्या की गई। जनता की आवाज को दबाया गया और चुनावी प्रक्रिया को एक मज़ाक बना दिया गया।”
⚖️ बीजेपी की प्रतिक्रिया:
बीजेपी ने राहुल गांधी के इन आरोपों को बेबुनियाद और निराधार बताया। बीजेपी प्रवक्ताओं का कहना है कि:
“चुनाव आयोग एक स्वतंत्र संस्था है, और चुनाव पूरी पारदर्शिता के साथ हुए हैं। राहुल गांधी अपनी पार्टी की हार का ठीकरा लोकतंत्र पर फोड़ रहे हैं।”
📢 विपक्ष की एकजुटता:
- शिवसेना (उद्धव गुट) और एनसीपी (शरद पवार) ने राहुल गांधी का समर्थन करते हुए कहा कि महाराष्ट्र में चुनावों की स्वतंत्र जांच होनी चाहिए।
- कई सामाजिक संगठनों और पूर्व नौकरशाहों ने भी इन आरोपों को गंभीर मानते हुए चुनाव आयोग से स्पष्टीकरण की मांग की है।
🗳️ क्या चुनाव आयोग देगा जवाब?
राहुल गांधी के इन आरोपों के बाद अब सभी निगाहें चुनाव आयोग पर हैं। यदि आयोग इस मामले में चुप्पी साधे रखता है, तो विपक्ष इसे और बड़ा मुद्दा बना सकता है।