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    यूक्रेन से मिले जख्मों को भूलकर जेलेंस्की को गले लगाएंगे पुतिन? तुर्किये में हुई ऐतिहासिक शांति वार्ता

    इस्तांबुल, तुर्किये
    रूस-यूक्रेन युद्ध को दो साल से ज्यादा हो चुके हैं और इस दौरान दोनों देशों ने भारी जान-माल की क्षति झेली है। लेकिन अब पहली बार ऐसा संकेत मिला है कि दोनों पक्ष शांति की ओर एक कदम बढ़ा सकते हैं। तुर्किये की राजधानी इस्तांबुल में दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडलों के बीच एक अहम शांति वार्ता हुई, जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ‘संभावित बदलाव की शुरुआत’ माना जा रहा है।

    क्या हुई इस बैठक में?

    तुर्किये के राष्ट्रपति रेचप तैयप एर्दोगन की मध्यस्थता में हुई इस बैठक में यूक्रेन और रूस के उच्चस्तरीय अधिकारियों ने भाग लिया। बैठक का मुख्य उद्देश्य था — युद्धविराम की संभावनाएं टटोलना, बंदी बनाए गए सैनिकों की अदला-बदली, मानवीय गलियारों की स्थापना, और परमाणु प्रतिष्ठानों की सुरक्षा सुनिश्चित करना।

    सूत्रों के अनुसार, रूस की ओर से बातचीत में राष्ट्रपति कार्यालय के विशेष सलाहकार और विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए, जबकि यूक्रेन की ओर से रक्षा मंत्रालय व राष्ट्रपति जेलेंस्की के विशेष दूत मौजूद रहे।

    हालांकि दोनों राष्ट्राध्यक्ष – व्लादिमीर पुतिन और वोलोदिमिर जेलेंस्की – इस बैठक में प्रत्यक्ष रूप से शामिल नहीं हुए, पर यह बताया गया है कि पुतिन और जेलेंस्की के बीच सीधी बातचीत की संभावना अब खुलने लगी है।

    तुर्किये की भूमिका

    तुर्किये ने पिछले दो वर्षों में कई बार दोनों देशों को एक मंच पर लाने की कोशिश की है, लेकिन यह बैठक अब तक की सबसे सकारात्मक पहल के रूप में देखी जा रही है। एर्दोगन ने कहा,

    “हमारा उद्देश्य केवल क्षेत्रीय शांति नहीं, बल्कि वैश्विक स्थिरता है। रूस और यूक्रेन दोनों हमारे मित्र हैं, और हम चाहते हैं कि दोनों एक शांतिपूर्ण समाधान पर पहुंचें।”

    रूस की बदली हुई रणनीति?

    विश्लेषकों का मानना है कि रूस अब धीरे-धीरे कूटनीतिक रास्तों पर विचार कर रहा है। पश्चिमी देशों के आर्थिक प्रतिबंधों और सैन्य दबाव ने रूस को अंदरूनी और बाहरी दोनों स्तरों पर झटका दिया है। यही कारण है कि अब क्रेमलिन शांति वार्ता के दरवाजे खोलने को तैयार दिख रहा है।

    हालांकि, पुतिन का यह कदम यह भी दिखाता है कि वे अब एक सख्त छवि से बाहर आकर एक संतुलित नेता के रूप में अपनी छवि पेश करना चाहते हैं — एक ऐसा नेता जो शांति की कीमत समझता है।

    क्या जेलेंस्की तैयार होंगे?

    यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने अब तक रूस पर विश्वास नहीं जताया है। वे कई बार कह चुके हैं कि जब तक रूस पूरी तरह से यूक्रेनी क्षेत्र नहीं छोड़ता, कोई समझौता संभव नहीं। लेकिन लगातार मिल रही आर्थिक और सैन्य चुनौतियों के कारण यूक्रेन को भी अब “रणनीतिक लचीलापन” अपनाने की आवश्यकता महसूस हो रही है।

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