ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया संघर्ष के बाद, दोनों देशों ने 10 मई 2025 को युद्धविराम की घोषणा की। यह निर्णय कई कारणों से लिया गया:
1. अंतरराष्ट्रीय दबाव और मध्यस्थता
संयुक्त राज्य अमेरिका ने दोनों देशों पर संघर्ष समाप्त करने के लिए दबाव डाला। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने दावा किया कि उन्होंने व्यापारिक कूटनीति के माध्यम से युद्धविराम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हालांकि, भारत ने इस दावे को खारिज किया और कहा कि यह निर्णय पूरी तरह से भारत की संप्रभुता के तहत लिया गया है।
2. प्रधानमंत्री मोदी का सख्त संदेश
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए स्पष्ट किया कि भारत ने केवल सैन्य कार्रवाई को “विराम” दिया है, और यदि पाकिस्तान आतंकवाद का समर्थन जारी रखता है, तो भारत फिर से कार्रवाई करेगा। उन्होंने कहा, “हम पाकिस्तान के हर कदम पर नजर रखेंगे,” और यह भी स्पष्ट किया कि “आतंक और वार्ता एक साथ नहीं चल सकते।” The Times of India
3. पाकिस्तान की वैश्विक स्तर पर आलोचना
भारत के हमलों के बाद, पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से सहायता की गुहार लगाई। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पाकिस्तान ने दुनिया भर में मदद मांगने की कोशिश की, लेकिन उसे कोई विशेष समर्थन नहीं मिला। यह दर्शाता है कि पाकिस्तान पर वैश्विक दबाव बढ़ रहा है।
4. मानवाधिकार और नागरिक सुरक्षा
संघर्ष के दौरान दोनों पक्षों के नागरिकों की मौतें हुईं। पाकिस्तान ने दावा किया कि 40 नागरिक और 11 सैनिक मारे गए, जबकि भारत ने 16 नागरिक और 5 सैनिकों की मौत की पुष्टि की। इन हानियों के मद्देनजर, दोनों देशों ने संघर्ष विराम की आवश्यकता महसूस की। Reuters
5. सीमा पर तनाव और स्थानीय प्रतिक्रिया
राजस्थान के जोधपुर और फलोदी जैसे सीमावर्ती क्षेत्रों में नागरिकों ने युद्धविराम का मिश्रित स्वागत किया। कुछ ने इसे शांति की दिशा में कदम माना, जबकि अन्य ने पाकिस्तान पर अविश्वास जताया और सरकार से कड़े कदम उठाने की मांग की।