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    खालिस्तान की मांग और भिंडरांवाला का अंत: जून के वे 8 दिन जो पंजाब को झकझोर गए – ऑपरेशन ब्लू स्टार की कहानी

    साल 1984। गर्मी के वही जून के दिन, जब पंजाब में अशांति की चिंगारियां लपटों में बदल गईं। अमृतसर का पवित्र स्वर्ण मंदिर, खालिस्तान समर्थकों का गढ़ बन चुका था। केंद्र सरकार के लिए यह स्थिति असहनीय होती जा रही थी। और फिर आया ऑपरेशन ब्लू स्टार — एक सैन्य अभियान, जिसने पंजाब के इतिहास को हमेशा के लिए बदल दिया।

    क्यों शुरू हुआ ऑपरेशन ब्लू स्टार?

    ऑपरेशन ब्लू स्टार भारतीय सेना द्वारा 1 से 8 जून 1984 के बीच चलाया गया एक सैन्य अभियान था। इसका उद्देश्य था: खालिस्तान की मांग कर रहे उग्रवादी नेता जरनैल सिंह भिंडरांवाला और उसके सशस्त्र समर्थकों को अमृतसर के स्वर्ण मंदिर परिसर से बाहर निकालना।

    भिंडरांवाला और उसके समर्थकों ने स्वर्ण मंदिर परिसर को एक तरह से किले में तब्दील कर दिया था, जहां हथियारों का ज़खीरा जमा हो चुका था। यह सरकार और देश की अखंडता के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया था।

    अभियान की शुरुआत और अंत

    1 जून को ऑपरेशन की शुरुआत हुई, और जैसे-जैसे दिन बढ़ते गए, मंदिर परिसर में सेना और उग्रवादियों के बीच टकराव तेज होता गया।
    3-6 जून के बीच गोलियां, बम, और टैंक तक इस्तेमाल किए गए।
    8 जून को ऑपरेशन समाप्त हुआ और सेना ने स्वर्ण मंदिर परिसर पर पूरा नियंत्रण हासिल कर लिया।

    भिंडरांवाला का अंत

    ऑपरेशन के दौरान भिंडरांवाला मारा गया। हालांकि, उनकी मौत आज भी एक विवाद का विषय है — कुछ कहते हैं वह हथियारों के साथ लड़ते हुए मारा गया, तो कुछ इसे आत्मसमर्पण न करने की मिसाल बताते हैं।

    क्या हुआ इसके बाद?

    • सैकड़ों लोग मारे गए, जिनमें सेना के जवान और निर्दोष श्रद्धालु भी शामिल थे।
    • स्वर्ण मंदिर को हुए नुकसान ने सिख समुदाय को गहराई से आहत किया।
    • इस ऑपरेशन के बाद 31 अक्टूबर 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या उनके ही सिख अंगरक्षकों ने कर दी — और उसके बाद देश में भयानक सिख विरोधी दंगे भड़के।

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