पटना
बिहार की राजधानी पटना में हुई उद्योगपति गोपाल खेमका की दिनदहाड़े हत्या ने राज्यभर में सनसनी फैला दी है। खेमका न सिर्फ व्यापार जगत का बड़ा नाम थे, बल्कि राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों में भी उनकी अच्छी पकड़ मानी जाती थी। लेकिन उनकी हत्या के पीछे की कहानी सिर्फ एक “लूट या रंजिश” से कहीं ज्यादा गहरी और जटिल होती जा रही है।
अब इस सनसनीखेज हत्याकांड की जांच के दौरान पुलिस को सात साल पहले हुए एक और हत्या मामले से अहम सुराग मिले हैं — उद्योगपति विकास सिंघानिया के बेटे राहुल सिंघानिया की रहस्यमयी मौत, जिसे पहले आत्महत्या बताया गया था, अब इस केस में संदिग्ध कड़ी बनकर सामने आ रहा है।
🔍 क्या है सात साल पुरानी हत्या का कनेक्शन?
साल 2018 में गया जिले में एक होटल कारोबारी विकास सिंघानिया के बेटे राहुल की लाश उनके फ्लैट में पंखे से लटकी मिली थी। उस वक्त जांच में पुलिस ने इसे “पारिवारिक तनाव” के चलते आत्महत्या करार दिया था। मगर खेमका की हत्या के बाद सामने आए कुछ दस्तावेज और कॉल रिकॉर्ड्स में खेमका और सिंघानिया परिवार के बीच जमीन और निवेश विवाद की बात सामने आ रही है।
सूत्रों के अनुसार, खेमका की कुछ गुप्त फर्मों ने उस दौरान गया और औरंगाबाद में बड़ी मात्रा में जमीन खरीदी थी, जिनमें सिंघानिया परिवार का पैसा भी लगा था। राहुल की मौत के बाद ये डील रद्द हो गई और सिंघानिया परिवार को भारी घाटा उठाना पड़ा।
अब सवाल उठ रहा है:
- क्या राहुल सिंघानिया की मौत मासूम आत्महत्या थी या एक सोची-समझी हत्या?
- और क्या गोपाल खेमका की हत्या उसी पुराने व्यावसायिक धोखे और बदले का हिस्सा है?
🧩 गोपाल खेमका के आखिरी 24 घंटे: रहस्य और रडार
हत्या से ठीक एक दिन पहले गोपाल खेमका पटना के एक पांच सितारा होटल में एक गुप्त मीटिंग में शामिल हुए थे। पुलिस ने होटल के CCTV फुटेज और लॉग बुक की मदद से तीन लोगों की पहचान की है, जिनमें से एक व्यक्ति का संबंध उसी सिंघानिया कांड से बताया जा रहा है।
हत्या के तुरंत बाद खेमका का मोबाइल फोन और लैपटॉप गायब पाया गया। साफ है कि यह कोई साधारण अपराध नहीं, बल्कि पूरी तैयारी और साजिश के तहत की गई हत्या थी।
👥 राजनीतिक एंगल और पुलिस पर दबाव
खेमका की हत्या के बाद सरकार पर जबरदस्त दबाव है। विपक्ष इसे कानून व्यवस्था की विफलता करार दे रहा है, वहीं खेमका के परिजनों ने CBI जांच की मांग उठाई है।
पटना पुलिस की SIT इस केस की हर कड़ी को खंगाल रही है — पुराने प्रॉपर्टी विवाद, बैंक लेनदेन, और राजनीतिक संबंधों की गहराई से जांच की जा रही है।
🔚 क्या खुलेंगे पुराने राज?
गोपाल खेमका हत्याकांड बिहार में उद्योगपतियों की सुरक्षा, पुराने निवेश घोटालों, और पुलिसिया जांच की सच्चाई पर बड़े सवाल खड़े करता है।
सात साल पुरानी एक रहस्यमयी मौत से अब यह केस जुड़कर और भी सनसनीखेज बन चुका है।
अब देखना है कि पुलिस इस जाल को कितना खोल पाती है — क्या दो हत्याएं सिर्फ इत्तेफाक थीं, या बिहार के कारोबारी जगत में कोई “साइलेंट किलर सिंडिकेट” सक्रिय है?