ग्वालियर/छतरपुर – देशभर में ईद-उल-अजहा (बकरीद) का पर्व नजदीक है, ऐसे में बागेश्वर धाम सरकार के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का एक बयान सुर्खियों में है। उन्होंने बकरीद पर दी जाने वाली बकरे की बलि को लेकर अपनी गहरी आपत्ति जताई है और इसे अहिंसा और करुणा के विरुद्ध बताया है।
धीरेंद्र शास्त्री ने कहा,
“किसी बेजुबान जानवर की गर्दन काटना बलिदान नहीं है। सच्चा बलिदान है — अपने भीतर के विकारों को त्यागना। धर्म वह है, जो दूसरों के प्रति दया, करुणा और प्रेम सिखाए। किसी निर्दोष प्राणी की हत्या धर्म नहीं, अधर्म है।”
उन्होंने आगे कहा कि यदि हम सच्चे धार्मिक हैं, तो हमें अपने व्यवहार से यह दिखाना चाहिए — चाहे वह किसी भी मजहब से जुड़ा हो। धार्मिक पर्वों के नाम पर पशुबलि जैसे अमानवीय कार्यों की परंपरा को अब समाप्त करने की आवश्यकता है।
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है बयान
पंडित धीरेंद्र शास्त्री का यह बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। कई सामाजिक और धार्मिक संगठनों ने उनके इस विचार का समर्थन करते हुए कहा कि अब समय आ गया है जब धर्म को हिंसा से अलग कर, करुणा और मानवता को केंद्र में लाया जाए।
हालांकि, कुछ वर्गों ने इसे धार्मिक परंपरा में हस्तक्षेप बताते हुए विरोध भी दर्ज कराया है। लेकिन शास्त्री जी ने साफ़ किया कि उनका उद्देश्य किसी धर्म या समुदाय को आहत करना नहीं है, बल्कि यह अपील सभी मनुष्यों के प्रति करुणा और अहिंसा को लेकर है।
पशुबलि पर पहले भी उठा है सवाल
पशुबलि का मुद्दा भारत में नया नहीं है। विभिन्न धर्मों और समुदायों में इसे लेकर वर्षों से बहस होती रही है। महात्मा गांधी से लेकर अनेक संतों और विचारकों ने भी इस प्रथा का विरोध किया है। धीरेंद्र शास्त्री की यह आवाज भी उसी श्रृंखला में एक नई चेतना का संकेत मानी जा रही है।