भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने हाल ही में दावा किया है कि उनकी और उनके परिवार की जान को खतरा है। उन्होंने आरोप लगाया कि हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली राज्य सरकार उनके खिलाफ साजिश रच रही है, जिसमें अपराधियों को हमले के लिए नियुक्त किया जा रहा है। गिरिडीह में एक सभा को संबोधित करते हुए, मरांडी ने कहा कि भ्रष्ट और आपराधिक प्रवृत्ति के अधिकारी, जो कथित रूप से राज्य सरकार से जुड़े हैं, उनके भ्रष्टाचार और घोटालों को उजागर करने के प्रयासों के कारण उन्हें निशाना बना रहे हैं। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि शिकारीपाड़ा में उनके ऊपर पहले भी जानलेवा हमला हो चुका है और यदि भविष्य में उन्हें या उनके सहयोगियों को कोई नुकसान होता है, तो इसके लिए राज्य सरकार जिम्मेदार होगी ।
इन आरोपों के जवाब में, झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) और कांग्रेस ने मरांडी के दावों को निराधार और राजनीतिक रूप से प्रेरित बताया है। झामुमो के प्रवक्ता तनुज खत्री ने मरांडी के आरोपों को “मानसिक दिवालियापन” का संकेत बताते हुए खारिज किया, जबकि कांग्रेस के प्रवक्ता राकेश सिन्हा ने मरांडी पर उनके मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान अशांति भड़काने का आरोप लगाया ।
इसके अतिरिक्त, बाबूलाल मरांडी ने हेमंत सरकार पर किसानों, विधवाओं और बुजुर्गों से किए गए वादों को पूरा न करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने चुनाव से पहले धान की खरीद 3200 रुपये प्रति क्विंटल की दर से करने का वादा किया था, लेकिन वर्तमान में यह 2400 रुपये में खरीदी जा रही है। इसके अलावा, मईया सम्मान योजना की राशि का भुगतान और वृद्ध व विधवा पेंशन की किस्तें भी लंबित हैं ।
मरांडी ने यह भी आरोप लगाया कि झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठियों का एक गिरोह सक्रिय है, जिसे राज्य सरकार का संरक्षण प्राप्त है। उन्होंने कहा कि यह गिरोह बांग्लादेशी नागरिकों को अवैध रूप से भारत में प्रवेश कराने, उन्हें मदरसों में ठहराने, और उनके लिए वोटर आईडी, आधार कार्ड और पासपोर्ट बनवाने में मदद करता है ।
इन आरोपों के बीच, झारखंड की राजनीति में तनाव और आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। भाजपा और विपक्षी दलों के बीच यह टकराव राज्य की राजनीतिक स्थिति को और अधिक जटिल बना |