पंजाब की वो दोपहरें जब बच्चों की हंसी गायब हो गई थी
यह कहानी है एक ऐसे हैवान की, जो मासूमियत का नकाब पहनकर पंजाब के कई इलाकों में कहर बनकर टूटा। वो साइकिल पर आता, मुस्कुराता, और मासूम बच्चों को टॉफी या बिस्किट का लालच देकर अपने साथ ले जाता। फिर वो लौटते नहीं थे… या अगर लौटते भी थे, तो लाश बनकर।
कौन था यह ‘बेबी सीरियल किलर’?
इस दरिंदे का असली नाम रविंदर कुमार था, लेकिन मीडिया और पुलिस की फाइलों में वो जाना गया “बेबी सीरियल किलर” के नाम से। दिल्ली से लेकर पंजाब तक, उसने 17 से ज्यादा मासूम बच्चों को अपना शिकार बनाया – जिनकी उम्र 4 से 10 साल के बीच थी।
वारदात – मासूमियत पर सबसे बड़ा हमला
- अकेले खेल रहे बच्चों को वह आसानी से निशाना बनाता था।
- मिठाई, खिलौने, टॉफी या वीडियो गेम का लालच देता था।
- सुनसान जगह ले जाकर उनके साथ दुष्कर्म करता और हत्या कर देता था।
- फिर शवों को या तो फेंक देता था या गड्ढों में छिपा देता।
पकड़ा कैसे गया?
एक दिन दिल्ली में एक बच्चे की चीख सुनकर लोग मौके पर पहुंचे और रविंदर को रंगे हाथों पकड़ लिया गया। जब पुलिस ने उससे पूछताछ की, तो उसकी कुबूलनामे ने पंजाब, हरियाणा, और दिल्ली पुलिस को हिला दिया।
उसने कबूला: “मुझे बच्चों के साथ खेलने में मजा आता था… पर फिर मेरे अंदर का शैतान जाग जाता था…”
मानसिक स्थिति – एक बीमार दिमाग का विश्लेषण
मनोचिकित्सकों के अनुसार रविंदर को गंभीर स्तर की मानसिक विकृति थी। वह न केवल बलात्कारी था, बल्कि हत्या करके एक अजीब तरह की संतुष्टि महसूस करता था। उसे क्लिनिकल पैडोफीलिया और साइकोपैथी दोनों का रोगी माना गया।
समाज के लिए सबक
- बच्चों को कभी अकेला न छोड़ें, चाहे वो गली हो या छत।
- अजनबियों से कोई चीज लेना मना करना सिखाएं।
- ऐसी घटनाओं पर खुलकर बात करना जरूरी है ताकि अन्य दरिंदों को रोका जा सके।
यह कहानी हमें याद दिलाती है कि हैवान इंसानी शक्ल में भी हो सकते हैं। सतर्क रहें, सजग रहें – क्योंकि बच्चों की सुरक्षा हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है।