भारत सरकार ने 2027 में होने वाली जनगणना की तारीखों की घोषणा कर दी है। जनगणना 1 मार्च 2027 से शुरू होगी और इस बार एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए जातिगत आंकड़ों को भी शामिल किया जाएगा। यह फैसला सामाजिक न्याय और कल्याण योजनाओं को अधिक प्रभावी बनाने के उद्देश्य से लिया गया है।
मुख्य बिंदु:
- जनगणना 1 मार्च 2027 से आरंभ होगी।
- जातिगत आंकड़ों को आधिकारिक तौर पर शामिल किया जाएगा।
- यह पहली बार होगा जब स्वतंत्र भारत में जातिगत जनगणना के डेटा को सार्वजनिक रूप से एकत्र और प्रकाशित किया जाएगा।
- यह कदम केंद्र और राज्यों की सामाजिक नीतियों, आरक्षण व्यवस्था और विकास योजनाओं को अधिक लक्ष्यित बनाने में मदद करेगा।
सरकारी बयान:
गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जातिगत जनगणना का उद्देश्य केवल आंकड़ों का संग्रह नहीं है, बल्कि इससे सरकार को वास्तविक सामाजिक-आर्थिक असमानताओं को समझने में मदद मिलेगी। इसके तहत प्रत्येक व्यक्ति की जाति, उपजाति, सामाजिक वर्ग आदि से जुड़ी जानकारी एकत्र की जाएगी।
पृष्ठभूमि:
इससे पहले 2011 की जनगणना में भी सामाजिक-आर्थिक और जातिगत डेटा एकत्र किया गया था, लेकिन वह आंकड़े सार्वजनिक नहीं किए गए थे। अब 2027 की जनगणना में इन आंकड़ों को व्यापक रूप से एकत्र कर नीति-निर्माण में उपयोग करने का निर्णय लिया गया है।
जनता और विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया:
सामाजिक संगठनों और राजनीतिक दलों ने इस निर्णय का स्वागत किया है, जबकि कुछ विशेषज्ञों ने इस पर चिंता जताई है कि जातिगत आंकड़े अगर सही ढंग से नहीं संभाले गए, तो सामाजिक विभाजन की आशंका बढ़ सकती है।