सुप्रीम कोर्ट ने जयपुर के ऐतिहासिक टाउन हॉल (पुरानी विधानसभा):
सुप्रीम कोर्ट ने जयपुर के ऐतिहासिक टाउन हॉल (पुरानी विधानसभा) पर जयपुर राजघराने के स्वामित्व दावे पर सुनवाई करते हुए टिप्पणी की, “फिर तो पूरा जयपुर आपका हो जाएगा।” यह टिप्पणी कोर्ट ने इसलिए की क्योंकि राजघराने के वकील ने तर्क दिया कि 1949 में भारत सरकार के साथ हुए समझौते में केंद्र सरकार पक्षकार नहीं थी, इसलिए अनुच्छेद 363 लागू नहीं होता। कोर्ट ने इस पर सवाल उठाया कि यदि केंद्र सरकार पक्षकार नहीं थी, तो भारत संघ के साथ विलय कैसे हुआ?
इस मामले में, राजस्थान हाईकोर्ट ने पहले टाउन हॉल को सरकारी संपत्ति मानते हुए राजघराने के दावों को खारिज कर दिया था। इसके बाद राजमाता पद्मिनी देवी, सांसद दीया कुमारी और सवाई पद्मनाभ सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार को नोटिस जारी कर आठ सप्ताह में जवाब मांगा है, लेकिन हाईकोर्ट के फैसले पर कोई स्थगन आदेश नहीं दिया है।
राजघराने का दावा है कि टाउन हॉल उनकी निजी संपत्ति है, जिसे स्वतंत्रता के बाद राज्य सरकार को विधानसभा भवन के रूप में उपयोग करने के लिए लाइसेंस पर दिया गया था। अब जबकि विधानसभा नए भवन में स्थानांतरित हो चुकी है, उनका कहना है कि पुरानी इमारत पर सरकार का अधिकार समाप्त हो गया है।
कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि ऐसे दावे स्वीकार किए जाते हैं, तो राजस्थान के हर पूर्व शासक सभी सरकारी संपत्तियों पर अपना दावा कर सकते हैं, जिससे व्यापक कानूनी जटिलताएं उत्पन्न होंगी।