सुप्रीम कोर्ट ने मदरसों में कामिल और फाजिल जैसी धार्मिक और शैक्षणिक परीक्षाएं आयोजित करने तथा उनके प्रमाणपत्रों को आधिकारिक मान्यता देने की मांग को गंभीरता से लेते हुए केंद्र सरकार, संबंधित राज्य सरकारों और मदरसा बोर्ड को नोटिस जारी किया है। यह मामला मदरसा शिक्षा प्रणाली में सुधार और उसे राष्ट्रीय शिक्षा ढांचे के साथ एकीकृत करने के लिए लंबित कई वर्षों से चल रही मांगों से जुड़ा है।
मदरसा शिक्षा में कामिल और फाजिल परीक्षाएं पारंपरिक तौर पर धार्मिक शिक्षा का उच्चतम स्तर मानी जाती हैं, जिनका प्रमाणपत्र विद्यार्थियों के भविष्य के लिए अहम होता है। परन्तु आज तक इन परीक्षाओं और डिग्रियों को राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली के तहत पूरी तरह मान्यता नहीं मिल पाई है। इससे मदरसा छात्रों को रोजगार, उच्च शिक्षा और सामाजिक समावेशन में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार से पूछा है कि मदरसों में कामिल-फाजिल परीक्षाओं को लेकर किन दिशा-निर्देशों और नीतियों को लागू किया गया है, तथा क्या सरकार इन परीक्षाओं को आधिकारिक तौर पर मान्यता देने के लिए कोई ठोस कदम उठा रही है। कोर्ट ने यह भी पूछा है कि क्या मदरसा शिक्षा को राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के अनुरूप समायोजित करने के लिए कोई कदम उठाए गए हैं।
मदरसा शिक्षा को आधिकारिक रूप से मान्यता दिलाने का उद्देश्य यह है कि मदरसा छात्र भी राष्ट्रीय शिक्षा तंत्र में बराबरी से शामिल हो सकें, जिससे उन्हें आधुनिक और धार्मिक दोनों प्रकार की शिक्षा के साथ रोजगार और उच्च शिक्षा के समान अवसर प्राप्त हों।
इस नोटिस के बाद सरकार और संबंधित विभागों को जवाब दाखिल करना होगा, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट आगे की सुनवाई करेगा। यह कदम मदरसा शिक्षा के आधुनिकीकरण, पारदर्शिता और सामाजिक समावेशन के लिए एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है।